pehla pehla pyaar

बरसात की पहली बारिश की तरह , मीठी मीठी खुशबू लिए हुए.. पावन, पवित्र।

एक ठंडी हवा का झोंका, मन में तितलियां उड़ना
वो एक झलक का इंतजार, वो एक कॉल की बेताबी, एक झलक की आस, एक नजर की इच्छा, 
कितने कम समय में किसी जज़्बात का परिपक्व होना।

वो खिड़की के किनारे लंबी लंबी कविताएं लिखना, वो बिना किसी बात के मुस्कुराना, कुछ सोचकर कुछ बोलकर फिर चुप कर जाना। 

कैसे कब क्यों कोई जवाब नही। क्या देख कर क्या सोचकर, कुछ नही पता। बस हो गया।

जिंदगी बीत गई, लेकिन पहले प्यार को देखने के लिए पीछे मुड़ने की जरूरत नहीं। वो तो साथ सा ही चल रहा है। साए की तरह धूप छांव में साथ आ जाता है।

पहला प्यार कोई शख्स नही है, वो तो बस एहसास है। मन में खुशी है, कि किसी को चाहा है, खुद से ज्यादा चाहा है, प्यार किया है। और बदले में कुछ चाहा नही कभी। पहला प्यार कितना पाक, कितना निस्वार्थ। 

अगर कोई पलट कर न चाहे तो वो पहला प्यार बस मेरा, मैंने बांटा नही किसी से, मेरे साथ रहेगा हमेशा, मेरे मन के पास। 

पहले प्यार की कोई महत्वकांक्षा नही है, उसको आपके आप में संतोष है, अपने प्यार को हमेशा खुश देखना चाहता है। कहीं भी, किसी के भी साथ। 

हमने देखी है उन आंखों की महकती खुशबू, हाथ से छूकर उसे रिश्तों का इल्जाम न दो, 
सिर्फ एहसास है यह, रूह से महसूस करो, प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो।

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